RAVI ADHANA

Add To collaction

स्त्री हैै, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

स्त्री है, जनाब,

 

 

बचपन से जिम्मेदारी उठाती है,

घर के सभी काम संभालती है,

एक लफ़्ज उफ नहीं करती है,

स्त्री है, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

            होश संभालते ही शिक्षा से दूर कर देतें है,

            कहीं भाग ना जाये, इसीलिए घर में कैद रखते है,

            सारे सपने मुट्ठी भर दिल में रखती है,

            स्त्री है, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

चुटकी भर सिंदूर से पराई हो जाती है,

पति कैसा भी हो हर रिश्ते को निभाती है,

हर जुर्म को तड़प कर सहन करती है,

स्त्री है, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

            ज़ख्म देने वाले का भी वंश बढ़ाती है,

            खुद भूखी रह कर बच्चों को खिलाती है,

            किस हाल में रहती है अपने घर नहीं बताती है,

            स्त्री है, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

किसी से कह नहीं सकती अपने दिल का हाल,

हर दर्द में सबके सामने मुस्कुराती है

खाम़ोशी से हर वचन निभाती है,

स्त्री है, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

            कितनी जिम्मेदारी निभाती है, शादी होने के बाद,

            कहाँ से गिनवा दे बेचारी, अपने काम का हिसाब,

            इतनी भी आसान नहीं, इनकी जिन्दगी होती है,

            स्त्री है, जनाब, तकलीफ उसे भी होती है।

 

 

Ravi Adhana

Meerut……….UP

 

   1
1 Comments

Raziya bano

08-Jun-2022 08:13 AM

Bahut sundar rachna

Reply